जयपुर. अतिरिक्त मुख्य सचिव खान एवं भू-विज्ञान व उद्योग वीनू गुप्ता ने बताया कि राज्य के माइंस विभाग ने चूरु जिले के घड़सीसर और करौली सपोटरा के खीदरपुर पोटाश ब्लॉक के कंपोजिट लाइसेंस के लिए ई- ऑक्शन की प्रक्रिया 31 जुलाई से आरंभ कर दी है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के ई पोर्टल पर ई-ऑक्शन की यह प्रक्रिया 4 सितंबर को बोली लगाने की अंतिम तिथि के साथ पूरी होगी। उन्होंने बताया कि देश में पोटाश का अभी तक खनन नहीं हो रहा है और देश पूरी तरह से विदेशों से आयात पर निर्भर है।
गुप्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल व निर्देशन के फलस्वरुप खनिज पोटाश के कंपोजिट लाइसेेस के ई-ऑक्शन की प्रक्रिया आरंभ कर राजस्थान देश को बड़ी सौगात देने जा रहा है। देश में यह पहला मौका होगा जब पोटाश के दो ब्लॉकों के सीएल के लिए ऑक्शन की पहल की गई है। राजस्थान में बीकानेर संभाग और करौली के आसपास पोटाश के भण्डार सिद्ध किए गए हैं। विभाग द्वारा दोनों ही ब्लॉकों का कंपोजिट लाइसेंस के लिए ऑक्शन किया जा रहा है।
गौरतलब है कि खान एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया भी राजस्थान में खनिज पोटाश के एक्सप्लोरेशन के प्रति गंभीर रहे हैं और पोटाश का खनन जल्दी से जल्दी हो इसके लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश देते रहे हैं। प्रदेश में पोटाश खनिज के खनन से विदेशों से आयात पर निर्भरता कम होने के साथ ही हजारों करोड़ रु. की विदेशी मुद्रा की भी बचत हो सकेगी। Follow “News Land” on Twitter
वीनू गुप्ता ने बताया कि देश में पोटाश खनिज डिपाजिट्स के आरंभिक खोज परिणामों के अनुसार देश का 95 प्रतिशत से भी अधिक पोटाश के भण्डार राजस्थान में संभावित है। उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के चुरू, बीकानेर, हनुमानगढ और श्रीगंगानगर जिलों के नागौर-श्रीगंगानगर बेसिन के भरूसरी ब्लॉक, सतिपुरा ब्लॉक, झण्डावाली नार्थ ब्लॉक, झण्डावाली साउथ ब्लॉक, खुजां नार्थ वेस्ट ब्लॉक, जोरकीया साउथ ब्लॉक, लखासर ब्लॉक, जेतपुर ब्लॉक इत्यादी में कार्य जारी है। उन्होंने बताया कि देश में करीब दस हजार करोड़ से अधिक के पोटाश का मुख्यतः कनाड़ा, बेलारुस, रसिया, जार्डन आदि से आयात किया जा रहा है। इसके साथ की कुछ मात्रा में इजराइल, सउदी अरब, जर्मनी आदि से भी आयात होता है।
निदेशक माइंस एवं पेट्रोलियम संदेश नायक ने बताया कि घड़सीसर और खीदरपुर पोटाश ब्लॉक के कंपोजिट लाइसेंस की ई ऑक्शन की कार्यवाही 31 जुलाई को आरंभ कर दी गई है। 16 अगस्त तक टेंडर डाक्यूमेंट की बिक्री की जाएगी वहीं 4 सिंतबर को पात्र निविदादाताओं द्वारा बोली लगाई जा सकेगी। उन्होंने बताया कि ई-नीलामी की पूरी कार्यवाही भारत सरकार के ई पोर्टल के माध्यम से की जा रही है और देश दुनिया में कहीं से भी कोई भी ई-नीलामी में हिस्सा ले सकता है।
नायक ने बताया कि घडसीसर पोटाश ब्लॉक सरदार शहर तहसील से लगभग 30 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है एवं इसका क्षेत्रफल 11.72 वर्ग किमी है। भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा न किये गए सर्वेक्षण मे बोरहोल पी-34 में पोटाश के 2 जोन पाए गए हैं जिनकी कुल मोटाई 10.29 मीटर है तथा औसत K% 3-03% तथा 4.55% है। उक्त बोरहोल में पोटाश खनिजीकरण 587.88 से 695.53 मीटर गहराई पर पाया गया है। इसी तरह से खीदरपुर ब्लॉक गंगापुर, जिला सवाईमाधोपुर से लगभग 20 किमी दूरी पर स्थित है एवं इसका क्षेत्रफल 9.464 वर्ग किमी है।
डीएमजी संदेश नायक ने बताया कि कृषि क्षेत्र में उर्वरक के रूप में पोटाश का प्रयोग प्रमुखता से होता है, पोटाश, नाईट्रोजन व फास्फोरस के बाद तीसरा महत्वपूर्ण घटक है । उर्वरक के अलावा पोटाश का अन्य उपयोग ग्लास, बारूद, रसायन व पेट्रोरसायन आदि बनाने में भी किया जाता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारत पोटाश के लिए पूर्णतः आयात पर निर्भर है, क्योंकि भारत में खनिज पोटाश का कहीं भी खनन नहीं हो रहा है। कनाड़ा, रूस, बेलारूस, चीन, इजरायल, जार्डन आदि प्रमुख पोटाश उत्पादक देश है।
नायक ने बताया कि पोटाश उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के गहराई पर स्थित एवाप्रोराइट के अलावा राजस्थान में पोटाश के ग्लाउकोनाइटिक डिपोजिट्स भी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि ई ऑक्शन की विस्तृत जानकारी विभागीय वेबसाइट व भारत सरकार के पोर्टल पर उपलब्ध है।