The specified slider is trashed.

CSIR-NISCPR ने “वसुधैव कुटुंबकम के लिए योग” विषय पर व्याख्यान किया

CSIR-NISCPR

CSIR-NISCPR: सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने “वसुधैव कुटुंबकम के लिए योग” विषय पर एनआईएससीपीआर-स्वस्तिक व्याख्यान आयोजित किया.

 

 

 

 

New Delhi. सीएसआईआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च (एनआईएससीपीआर) CSIR-NISCPR ने अपने स्वस्तिक (वैज्ञानिक रूप से मान्य सामाजिक परंपरागत ज्ञान) प्रभाग के तहत एक व्याख्यान आयोजित किया। स्वस्तिक सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर द्वारा समन्वित पीएमओ की निगरानी वाली पहल है। एनआईएससीपीआर-स्वस्तिक व्याख्यान श्रृंखला का यह चौथा सत्र था। यह व्याख्यान “वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग” विषय पर केन्द्रित था।

एनआईएससीपीआर-स्वस्तिक व्याख्यान सत्र एक गौरवमय क्षण था, जिसमें प्रख्यात विद्वानों, शोधकर्ताओं, योग चिकित्सकों और उत्साही प्रतिभागियों का भागीदारी देखने को मिली, जो योग के गहन दर्शन और वैश्विक परिवार को बढ़ावा देने में इसके महत्व का पता लगाने के लिए एकजुट हुए थे। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक श्री हसन जावेद खान ने स्वागत भाषण दिया और स्वस्तिक पर व्यावहारिक परिचयात्मक टिप्पणियां दीं, जिससे बाद ज्ञानवर्धक सत्रों का माहौल तैयार हो गया।

 

CSIR-NISCPR
CSIR-NISCPR: स्वस्तिक व्याख्यान सत्र की झलकियां

 

 

इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण एस-व्यास विश्वविद्यालय, बेंगलुरु के कुलाधिपति पद्मश्री डॉ. एचआर नागेन्द्र का मुख्य भाषण था। योग के क्षेत्र में डॉ. नागेन्द्र के विशाल ज्ञान और विशेषज्ञता ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया क्योंकि उन्होंने मानवता को एकजुट करने और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की अवधारणा को साकार करने में योग की परिवर्तनकारी शक्ति को स्पष्ट रूप से समझाया। उनके संबोधन ने उपस्थित लोगों को व्यक्तिगत और सामूहिक कल्याण के लिए योग को अपने जीवन में शामिल करने के लिए प्रेरित किया। इस कार्यक्रम का समापन सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. चारु लता के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।

जो ज्ञान हमें विरासत में मिला है, उस पर गर्व और आत्मविश्वास की भावना पैदा करने के लिए जागरूकता पैदा करना और साक्ष्य-आधारित पारंपरिक प्रथाओं/ज्ञान को जनता के बीच साझा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक प्रोफेसर रंजना अग्रवाल और प्रख्यात विशेषज्ञों की संचालन समिति के मार्गदर्शन में, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के वैज्ञानिकों की एक टीम ने राष्ट्रीय पहल “स्वस्तिक”- वैज्ञानिक रूप से मान्य सामाजिक परंपरागत ज्ञान की शुरुआत की। इस पहल के एक भाग के रूप में वैज्ञानिक रूप से मान्य भारतीय परंपरागत ज्ञान पर सरलीकृत रचनात्मक सामग्री को अंग्रेजी और विभिन्न भारतीय भाषाओं में डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रसारित किया जा रहा है। अब तक ऐसी 37 कहानियां अंग्रेजी और 17 भारतीय भाषाओं में 9 पारंपरिक ज्ञान क्षेत्रों में प्रसारित की जा चुकी हैं। कोई भी सोशल मीडिया के सभी लोकप्रिय प्लेटफॉर्मों पर @NIScPR_SVASTIK के माध्यम से पहुंच सकता है।

 

 

 

 

 

Gujarat News: महिला सशक्तिकरण पर जी-20 मंत्रिस्तरीय सम्मेलन गांधीनगर में

News Land India
Author: News Land India