महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और 15 विधायकों पर आज महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने अपना फैसला सुनाते हुए एकनाथ शिंदे को बड़ी रहत दी | राहुल नार्वेकर ने फैसला सुनाते हुए कहाँ की शिवसेना का जो सविधान १९९९ का था ,उसे ही मान्य माना जायेगा | 2018 में जिस भी संशोधन की बात की गयी है वो सही नहीं है | . राहुल नार्वेकर की तरफ ये भी साफ़ कहा गया की चुनाव आयोग के पास जो रिकॉर्ड मौजूद है, उसमें शिंदे गुट ही असली शिवसेना है | अपने फैसले में राहुल नार्वेकर ने कहा की शिवसेना के २०१८ के संशोधित संवधान को वैध नहीं माना जा सकता क्यूंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में मौजूद नहीं है | स्पीकर ने कहा की , रिकॉर्ड के अनुसार , मैंने वैध संविधान के रूप में शिवसेना के १९९९ के संविधान को ध्यान में रखा | इसके अलावा स्पीकर ने यह भी साफ़ कर दिया की उद्धव गुट वर्तमान मेंकिसी को भी पार्टी से नहीं निकाल सकता | संविधान में जोर देकर कहा गया है की बिना राष्ट्रिय कार्यकारिणी की सलाह लिए किसी को पार्टी से बहार नहीं किया जा सकता | स्पीकर के इस फैसले से एकनाथ शिंदे को बड़ी रहत मिली है क्यूंकि बगावत के समय उद्धव ठाकरे ने उन्हें पार्टी से बहार करने की बात कही थी | राहुल नार्वेकर ने अपने फैसले में यह बात स्पष्ट कर दी है की शिंदे गुट के पास बहुमत था ,ऐसे में उसे चुनौती नहीं दी जा सकती | स्पीकर के इस फैसले से न सिर्फ एकनाथ शिंदे की मुख्यमंत्री की कुर्सी बच गयी बल्कि १५ अन्य विधायकों पर भी अयोग्यता की लटकती तलवार भी ख़त्म हो गयी है | स्पीकर ने यह भी माना की २१ जून २०२२ को जब प्रतिद्वंदि गुट बना तब शिंदे गुट ही असली शिवसेना राजनीतिक दल था |
क्या है ये पूरा मामला ?
21 जून 2022 को एकनाथ शिंदे और शिवसेना विधायकों के एक ग्रुप ने तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. इसके कुछ घंटों बाद इन विधायकों ने उद्धव ठाकरे के खेमे से एक प्रस्ताव पारित कर शिंदे को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया और उनकी जगह अजय चौधरी को पद पर नियुक्त कर दिया, जबकि सुनील प्रभु को चीफ व्हिप का पद दे दिया गया.वहीं, दूसरी ओर उसी दिन शिंदे गुट ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें पुष्टि की गई कि शिंदे विधायक दल का नेतृत्व जारी रखेंगे.
शिवसेना में विभाजन के दो दिन बाद प्रभु ने एक बैठक बुलाई. इसमें शामिल नहीं होने के लिए शिंदे और 15 अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका को स्पीकर के पास दायर किया गया. इसके बाद 27 जून को शिंदे गुट के 22 और विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं को दायर किया गया.बाद में दो और विधायकों के खिलाफ याचिकाएं दायर की गईं.
बदले में शिंदे गुट ने 14 शिवसेना (यूबीटी) विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर कीं. प्रभु ने इन जवाबी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी.
कोर्ट ने क्या कहा?
मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर से याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए कहा. अदालत ने स्पीकर से कहा कि उन्हें अपने निर्णय को इस बात पर नहीं करना चाहिए कि विधानसभा में किस समूह के पास बहुमत है और स्पीकर को पहले यह निर्धारित करना चाहिए कि चुनाव आयोग के आदेश से प्रभावित हुए बिना, कौन सा गुट एक राजनीतिक दल है.
Reported by Prashant Gangal.
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