Rajasthan CM Ashok Gehlot to hold a meeting regarding protests happening on the Right to Health Bill.
Jaipur. मुख्य सचिव उषा शर्मा की अध्यक्षता में शासन सचिवालय में रविवार को राइट टू हेल्थ बिल (Right to Health Bill) के संबंध में चिकित्सकों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता हुई. उन्होंने कहा कि चिकित्सक भी सरकार के एक परिवार की तरह है अतः दोनो जनता की सेवा के लिए पूर्णतया प्रतिबद्ध है.
Chief Secretary शर्मा ने उपस्थित चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल की शंकाओं और सुझावों को सुनते हुए कहा कि हम मिलकर एक टीम की भावना के साथ काम करते हुए प्रदेश के लोगों की सेवा करते है इसलिए प्रदेशवासियों को उनके स्वास्थ्य के अधिकारों को और अधिक सुदृढ़ करने के उद्देश्य से यह बिल लाया गया है. मुख्य सचिव ने प्रतिनिधिमंडल को उनके सुझावों पर विस्तृत चर्चा करने का भी आश्वासन दिया.
मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रदेश के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की मंशानुरूप सबकी बात सुनकर और गहन विचार विमर्श के साथ यह बिल लाया गया है इसलिए मुख्यमंत्री ने आज सभी चिकित्सकों से कार्य बहिष्कार एवं हड़ताल समाप्त करने की भी अपील की हैं.
वार्ता में अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त अखिल अरोड़ा, प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग टी. रविकांत, शासन सचिव वित्त (व्यय) नरेश कुमार ठकराल, जयपुर जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित और चिकित्सकों का प्रतिनिधिमंडल मौजूद रहें.
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डॉक्टरों ने प्रेसवार्ता में कहा कि सोमवार को राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में देशभर में निजी अस्पताल बंद रहेंगे. जयपुर में हजारों डॉक्टर सड़क पर उतरेंगे और सरकार के खिलाफ रैली निकालेंगे. इस रैली से सरकार को हमारी ताकत का एहसास होगा. डॉक्टर्स ने कहा कि वह अब सीएम से वार्ता करना चाहते है. सीएम से नीचे स्तर पर वार्ता नहीं करेंगे.
प्रतिनिधिमंडल में डॉ सुनील चुघ, डॉ रामदेव, डॉ राकेश, डॉ अर्चना सहित 10 डॉक्टर पहुंचे. सीएस ने डॉक्टरों से पूछा कि बताइये इस बिल में क्या कमियां—खामियां है ? जिस पर डॉक्टरों ने कहा कि वह कमियां—खामियां बताने के लिए नहीं आए है. सभी डॉक्टर्स चाहते है कि यह बिल निरस्त हो.
क्या हैं राइट टू हेल्थ बिल?
स्वास्थ्य का अधिकार कानून (Right to health bill) के तहत प्राइवेट अस्पताल इलाज के लिए बाध्य हो जाएंगे. नया कानून आने के बाद निजी अस्पताल बिना किसी पेमेंट के इलाज के लिए बाध्य हो जाएंगे. इसी कारण निजी अस्पतालों के डॉक्टर इस बिल के विरोध में उतर आए हैं. डॉक्टरों के प्रतिनिधि मंडल ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ वार्ता की और इस बिल में बदलाव करने के सुझाव दिए. फिलहाल डॉक्टरों द्वारा बताए गए सुझावों पर अमल नहीं हुआ है.
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