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‘शिशिर’ में शांत हुई ‘शरद’ की बुलंद आवाज़

New Delhi. होशंगाबाद के गाँव बंदाई में किसान परिवार में जन्मे शरद यादव जिनका जन्म १ जुलाई १९४७ को हुआ | बचपन से ही पड़े में होशियार शरद ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद इंजीनियर बनने का सपना देखा, बचपन से ही शरद पड़े में काफी होशियार थे | अपने इंजीनियरिंग के सपने को लेकर शरद ने जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन ले लिया और यहाँ से बीई की डिग्री हासिल की | मध्यप्रदेश में जन्मे शरद यादव ने स्टूडेंट पॉलिटिक्स से अपना शुरूआती राजनितिक सफर शुरू किया और देखते ही देखते संसद की बुलंद आवाज़ बन गए | उन्होंने अपनी पूरी सियासत का केंद्र बिहार और उत्तरप्रदेश को बनाया और वहां के ज़मीनी मुद्दों को संसद में उठाया | अपने लोगों की आवाज़ को पुरज़ोर तरीके से संसद में उठाने की वजह से ही मध्यप्रदेश ,बिहार व उत्तरप्रदेश के वह सबसे मजबूत नेता बने और आगे इसी छवि की वजह से उन्होंने अपनी राजनीती राष्टीय स्तर पे स्थापित की | किन्तु कल रात इस राष्टीय नेता का देर रात इलाज के दौरान निधन हो गया जिसकी पुष्टि उनकी बेटी सुभाषिनी यादव ने की | शरद यादव के निधन पर लालू यादव ने भी कर कहा की वे बड़े भाई की तरह थे | उन्होंने ये भी कहा की शरद और मैं कई अवसरों पर लड़े भी मगर हमारे बीच कभी कड़वाहट पैदा नहीं हुई | वहीँ शरद यादव के निधन पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नितीश कुमार दुःख व्यक्त किया है |

Prashant
Author: Prashant