“देवभूमि” जोशीमठ में दहशत क्यों हैं?
जमीन धस रहीं लोग हो रहे बेघर जोशीमठ में क्यों मचा है हाहाकार देवभूमि में दहशत क्यों हैं
कल दौरे पर आएंगे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री
देहरादून/जोशीमठ. जहाँ से बद्री विशाल की यात्रा का प्रस्थान होता हैं उस जगह इन दिनों लोग बहुत परेशां हैं. उनके घर टूट रहे हैं, दरारें आ रही हैं. जमीं धसने से कई लोगों को जान पर आफत आ गई हैं. लोग आपने घर छोड़ रहे हैं. प्रशासन उनके लिए विस्थापन के इंतजाम कर रहा हैं. वर्षो से जिन घरो में रहे लोग अपने घरों को जमीं में धंसता देख जान बचा कर निकल रहे हैं और सैंकड़ो पहले ही परिवार समेत छोड़कर जा चुके हैं. 550 ज्यादा घरों खतरनाक दरारें पड़ चुकी हैं. कहीं किसी मकान की छत बांस की बल्लियों पर टिकी हैं तो किसी का आँगन जमीन में धंस गया हैं. दर्जनों परिवारों को सुरक्षित जगह पर लें जाया जा चुका है. राज्य धामी सरकार और केंद्र सरकार मामले पर नजर बनाएं हुए हैं. कड़ाके की ठण्ड में लोग घरों को छोड़कर निकल रहे हैं.
पहाड़ी शहर जोशीमठ में सैकड़ों घरों में दरारें और भूस्खलन की बढती घटनाओं के बाद सरकार ने चल रही सभी परियोजनाओं को बंद करवा दिया हैं. राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी), तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा बनाए जा रहे हेलंग बाईपास रोड सहित क्षेत्र में अन्य सभी निर्माण कार्यों को रोकने के आदेश जारी किए गए हैं.
‘जोशीमठ-बचाओ संघर्ष समिति’ के बैनर तले स्थानीय लोगों ने धरना-प्रदर्शन किया और मशाल लेकर जुलुस निकाला. कई देर तक बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग का ट्रेफिक भी बाधित रहा. उसके बाद चमोली प्रशासन ने जलविद्युत परियोजना से संबंधित निर्माण कार्य पर रोक लगाने का आदेश देकर प्रदर्शनकारियों को शांत किया. लोगों में व्यापक दहशत और भय व्याप्त है.पिछले साल नवंबर में कई जगहों पर घरो में दरारें और जमीन धसने की खबरें आने पर सरकार ने उसका सर्वे करवाया . विशेषज्ञो ने पहले ही चेतावनी दी थी की भूकंप के लिहाज से High रिस्क वाला क्षेत्र होने से यहाँ इन सब चीजों को बंद करने की जरुरत हैं परन्तु इसे नजरअंदाज किया गया.
‘जोशीमठ-बचाओ संघर्ष समिति’ के संयोजक अतुल ने कहा कि “जब हम डूबने के कगार पर हैं तो सरकार ने अब निर्माण कार्य पर रोक क्यों लगा दी है? उन्होंने पहले हमारी बात पर ध्यान क्यों नहीं दिया?”
बद्रीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी भुवन चंद्र उनियाल ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. “जोशीमठ शहर अब अपनी आखिरी सांसें ले रहा है, इस हिमालयी क्षेत्र की आवाज को पूरे देश में फैलाएं “.
अब आगे क्या ?
आज शाम हाई लेवल मीटिंग और कल जोशीमठ जाएंगे सीएम धामी
उत्तराखंड की धामी सरकार आज एक हाई लेवल मीटिंग करेगी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि “जोशीमठ में भूस्खलन और मकानों में दरारों को लेकर मैं आज शाम देहरादून में शीर्ष अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक करूंगा. मैं कल जोशीमठ जाऊंगा और स्थिति का जायजा लूंगा. । बीजेपी की तरफ से भी एक टीम भी वहां भेजी गई है।’
जिला प्रशासन ने एहतियाती उपाय के रूप में परिवारों को शिफ्ट करने और विस्थापित करने के लिए ‘एनटीपीसी’ और ‘हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी’ (HCC) को 2,000 अस्थाई प्री-फैब्रिकेटेड घरों को बनाने का आदेश जारी किया हैं. साथ ही होटलों और सामुदायिक भवनों को लेकर भी आदेश जारी किये गए हैं.
केंद्र सरकार ने तीन दिनों में जोशीमठ का तेजी से अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का आज आदेश दिया।
जरा सोचिए: जोशीमठ पर मौजूद कई रिपोर्टों के बारे में क्या?
इसके अलावा, सुपर सरकारी समिति में कौन यह सुनिश्चित करेगा कि लोगों की आवाज़ पर ध्यान दिया जाए और सुना जाए?भू-स्खलन , भू-धंसाव , जल-रिसाव और दरारों की समस्याएँ आई क्यों ?
प्रकृति को अगर हम दोष देने लगे तो ये बहुत ज्यादती होगी . हाँ ! हम अपने द्वारा प्रकृति के साथ की जा रही छेड़छाड़ और विकास के तर्क को छिपाना चाहे तो अलग बात हैं. असल में हो रही खुदाई, पहाड़ो के कटाव और बेकार सीवरेज ने इस शहर को खोद डाला . पहाड़ी तोड़ने के ब्लास्ट से जमीन हिल रही हैं. विस्फोटो से पहाड़ो और जमीं की नीव हिल चुकी हैं. राजनैतिक और आधिकारिक रूप से ये इग्नोरेंस का शिकार प्रकृति हमसे बदला ले रही हैं.
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने आरोप लगाया कि सरकार ने चेतावनियों के बावजूद एनटीपीसी द्वारा तेजी से किए जा रहे कंस्ट्रक्शन कार्य को नजरअंदाज कर चलने दिया.
“हमने सर्वे किया जहां नई दरारें आई हैं, कुछ होटल झुके हैं, कुछ जगहों पर नए जल स्रोत उभरे हैं.”
रंजीत सिन्हा, सचिव, आपदा प्रबंधन
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी के अनुसार, रविग्राम में 153, गांधीनगर में 127, मनोहरबाग में 71, सिंहधार में 52, परसारी में 50, ऊपरी बाजार में 29, 27 सुनील में 28, मारवाड़ी में 28 और निचले बाजार में 24, सहित शहर के विभिन्न हिस्सों में अब तक 561 मकानों में दरारें आ चुकी हैं और लोग प्रभावित हुए है जिन्हे शिफ्ट किया गया हैं.
सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्थिति का जायजा लेने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों की एक टीम भेजी है, जिसकी निगरानी सीएम के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय भी कर रहा है.
स्थिति का जायजा लेने के लिए गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा, आपदा प्रबंधन कार्यकारी अधिकारी पीयूष रौतेला, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के डिप्टी कमांडेंट रोहितास मिश्रा, लैंडस्लाइड मिटिगेशन सेंटर के वैज्ञानिक संतून सरकार और आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों की टीम गुरुवार को जोशीमठ पहुंची.
जोशीमठ
जोशीमठ या ज्योतिर्मठ उत्तराखण्ड के चमोली जनपद (District) में स्थित है जहाँ हिन्दुओं की प्रसिद्ध ज्योतिष पीठ है. यहाँ ८वीं सदी में धर्मसुधारक आदि शंकराचार्य को ज्ञान प्राप्त हुआ था. बद्रीनाथ मंदिर तथा देश के विभिन्न कोनों में तीन और मठों की स्थापना से पहले यहीं उन्होंने प्रथम मठ की स्थापना की थी.
बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब के रास्ते में स्थित है, उच्च जोखिम वाले भूकंपीय “जोन-वी” में है. समुद्रतल से 6,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है
