पटना. बिहार की नीतीश सरकार में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया हैं.
आरजेडी के सीनियर लीडर और बिहार का एजुकेशन सिस्टम संभालने वाले व्यक्ति के ऐसे बोल से बिहार की राजनीति गर्मा गई. लालू यादव की पार्टी के नेता नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि “रामचरितमानस से समाज में नफरत फैलती हैं” यूनिवर्सिटी के कोंवोकेशन प्रोग्राम ने बोलते हुए हिंदुओ के धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस और मनुस्मृति को समाज में विभाजन करने वाली किताबे कह कर एक नए विवाद को हवा दे दी.
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क्या धार्मिक ग्रंथों को अपनी राजनीतिक फ्रस्ट्रेशन मिटाने के लिए बयानबाजी करना उचित हैं?
बीते दिनों हुई हिंदू धार्मिक ग्रंथों को लेकर कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और केरल के मंत्री एमबी राजेश ने भी इस तरह का कमेंट किया था. अक्सर नेता अपने एजेंडे और ऑडियंस के हिसाब से भाषण और बयानों का सलेक्शन करते हैं जिससे वो एक “स्पेसिफिक” ग्रुप को खुश करना चाहते हैं. कई बार वे अपनी राजनीतिक विरासत को जाता हुआ देख या खुन्नस के लिए भी धर्म और ग्रंथों पर टिप्पणियां कर राजनीति करते हैं.
